भारत शासन अधिनियम \ साइमन आयोग \ सांप्रदायिक अवार्ड \भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 \ bharat shasan adhiniym

  ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 
Historical Background

भारत शासन अधिनियम, साइमन आयोग, सांप्रदायिक अवार्ड  



1909 के अधिनियम की विशेषताएं 


इस अधिनियम को मॉर्ले मिंटो सुधार के सुधार के नाम से भी जाना जाता है (उस समय लॉर्ड मॉर्ले इंग्लैंड में भारत के राज्य सचिव थे और लॉर्ड मिंटो भारत में वायसराय थे)

1. इसने केंद्रीय और प्रांतीय विधानपरिषदों के आकार में काफी वृद्धि की केंद्रीय परिषद में इनकी संख्या 16 से 60 हो गई प्रांतीय विधानपरिषदों में इनकी संख्या एक समान नहीं थी 

2. इसने दोनों स्तरों पर विधान परिषदों के चर्चा कार्यों का दायरा बढ़ाया जैसे अनुपूरक प्रश्न पूछना, बजट पर संकल्प रखना आदि 

3. इस अधिनियम के अंतर्गत पहली बार किसी भारतीय की वायसराय और गवर्नर की कार्यपरिषद के साथ एसोसिएशन बनाने का प्रावधान किया गया 
सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यपालिका परिषद के प्रथम भारतीय सदस्य बने उन्हे विधि सदस्य बनाया गया था 

4. इस अधिनियम ने पृथक निर्वाचन के आधार पर मुस्लिमों के लिए सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया इसके अंतर्गत मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे 
इस प्रकार इस अधिनियम ने साम्प्रदायिकता को वैधानिकता प्रदान की और लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना गया 

5. इसने प्रेसिडेंसी कॉर्पोरेशन, चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स, विश्वविद्यलयों और जमींदारों के लिए अलग प्रतिनिधित्व का प्रावधान भी किया 


1919 का अधिनियम कब लागू हुआ?

भारत शासन अधिनियम 1919 


20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश सरकार ने पहली बार घोसित किया की उसका उद्देश्य भारत में क्रमिक रूप से उत्तरदायी सरकार  स्थापना करना था 
क्रमिक रूप से 1919 में भारत शासन अधिनियम बनाया गया जो 1921 से लागू हुआ 
इस कानून को मांटेग चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है (मांटेग भारत के राज्य सचिव थे, जबकि चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे 

भारत शासन अधिनियम 1919 की विशेषताएं 


1. इस अधिनियम ने पहली बार देश में द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था प्रारंभ की | इस प्रकार भारतीय विधान परिषद के स्थान पर द्विसदनीय व्यवस्था यानी राजयसभा और लोकसभा का गठन किया गया 
दोनों सदनों के बहुसंख्यक सदस्यों को प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से निर्वाचन किया जाता था 

2. इसके अनुसार वायसराय की कार्यकारी परिषद के 6 सदस्यों में से (कमांडर-इन-चीफ़ को छोड़कर) तीन सदस्यों  भारतीय होना आवश्यक था 

3. इसने सांप्रदायिक आधार पर सिखों, भारतीय ईसाइयों, आंग्ल भारतीय और यूरोपियों के लिए भी पृथक निर्वाचन के सिद्धान्त को विस्तारित कर दिया 

4. इस कानून ने संपत्ति, कर या शिक्षा के आधार पर सीमित संख्या में लोगों को मताधिकार प्रदान किया 

5. इससे एक लोक सेवा आयोग का गठन किया गया अत: 1926 में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए केंद्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया 

6. इसने पहली बार केंद्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग कर दिया और राज्य विधानसभाओं को अपना बजट स्वयं बनाने के लिए अधिकृत कर दिया
 
7. इसके अंतर्गत एक वैधानिक आयोग का गठन किया गया, जिसका कार्य दस वर्ष बाद जाँच करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना था 

साइमन आयोग 


ब्रिटिश सरकार ने नवंबर 1927 में नए संविधान में भारत की स्थिति का पता लगाने के लिए सर जॉन साइमन के नेतृत्व में सात सदस्यीय वैधानिक आयोग के गठन की घोषणा की 
आयोग के सभी सदस्य ब्रिटिश थे इसलिए सभी दलों ने  इसका बहिष्कार किया 
आयोग ने 1930 में अपनी रिपोर्ट पेश की तथा द्वैध शासन प्रणाली, राज्यों में सरकारों का विस्तार, ब्रिटिश भारत संघ  स्थापना एवं सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था को जारी रखने आदि की सिफारिशें की 
आयोग के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत और भारतीय रियासतों के प्रतिनिधियों के साथ तीन गोलमेज सम्मलेन किये इन सम्मेलनों में हुई चर्चा के आधार पर " संवैधानिक सुधारों पर एक स्वेत पत्र " तैयार किया गया 
जिसे विचार के लिए ब्रिटिश संसद की संयुक्त प्रवर समिति  समक्ष रखा गया इस समिति की सिफारिशों को (कुछ संशोधनों के साथ) भारत परिषद अधिनियम 1935 में शामिल कर दिया गया 

सांप्रदायिक अवार्ड 


ब्रिटिश प्रधानमत्री रैमजे मैकडोनाल्ड ने अगस्त 1932 में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व पर एक योजना की घोषणा की इसे कम्युनल अवार्ड या सांप्रदायिक अवार्ड  के नाम से जाना गया 
अवार्ड ने न सिर्फ मुस्लिमों, सिख, ईसाई, यूरोपियनों और आंग्ल भारतीयों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था का विस्तार किया बल्कि  इसे दलितों के लिए भी विस्तारित कर दिया गया दलितों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था से गांधी बहुत व्यथित हुए और उन्होंने अवार्ड में संशोधन के लिए पूना की यरवदा जेल में अनशन प्रारंभ कर दिया 
अंतत: कांग्रेस नेताओं और दलित नेताओं के बीच एक समझौता हुआ जिसे पूना समझौते के नाम से जाना गया 

भारत शासन अधिनियम 1935 


यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज था, जिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थीं 


भारत शासन अधिनियम 1935 की विशेषताएं 


1. इस अधिनियम ने केंद्र और इकाइयों के बीच तीन सूचियों - संघीय सूची (59 विषय), राज्य सूची (54 विषय) और समवर्ती सूची (दोनों के लिए 36 विषय) के आधार पर शक्तियों का बंटवारा कर दिया 
संघीय व्यवस्था कभी अस्तित्व में नहीं आयी क्योकि देसी रियासतों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था 

2. इसने केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का शुभारम्भ किया 

3. इसने 11 राज्यों में से 6 में द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ की इस प्रकार बंगाल, बम्बई, मद्रास, बिहार सयुक्त प्रान्त और असम में द्विसदनीय विधान परिषद् और विधानसभा बन गई 

4. इसने न केवल संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग और दो या अधिक राज्यों के लिए सयुंक्त सेवा आयोग की स्थापना भी की 

5. इसके तहत 1937 में संघीय न्यायालय की स्थापना हुई 

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 


20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा 
इसके बाद सत्ता उत्तरदायी भारतीय हाथों में सौंप दी जाएगी 
इस घोषणा पर मुस्लिम लीग ने आंदोलन किया और भारत के विभाजन की बात कही 
3 जून 1947 को ब्रिटिश सरकार ने फिर स्पष्ट किया कि 1946 में गठित संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान उन क्षेत्रों में लागू नहीं होगा जो इसे स्वीकार नहीं करेंगे 
उसी दिन 3 जून 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने विभाजन की योजना पेश की, जिसे माउंटबेटन योजना कहा गया इस योजना की कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने स्वीकार कर लिया 
इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 बनाकर उसे लागू कर दिया गया 

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की विशेषताएं 


1. इसने भारत में ब्रिटिश राज समाप्त कर 15 अगस्त 1947 को इसे स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र घोषित कर दिया 

2. इसने भारत का विभाजन कर दो स्वतन्त्र डोमिनयनों - संप्रभु राष्ट्र भारत और पाकिस्तान का सृजन किया जिन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की स्वतंत्रता थी 

3. इसने दोनों डोमिनियन राज्यों संविधान सभाओं को अपने देशों का संविधान बनाने और उसके लिए किसी भी देश के संविधान को अपनाने की शक्ति दी 

4. इसने 15 अगस्त 1947 से भारतीय रियासतों पर ब्रिटिश संप्रभुता की समाप्ति की भी घोषणा की 

5. इसने भारत के राज्य सचिव द्वारा सिविल सेवा में नियुक्तियां करने और पदों में आरक्षण करने की प्रणाली समाप्त कर दी 

6. 14 - 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हो गया और समस्त शक्तियां दो नए स्वतंत्र डोमिनियनों - भारत और पाकिस्तान को स्थानांतरित कर  दी गई 

7. लॉर्ड माउंटबेटन नए डोमिनियन भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई 


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Shailesh Shakya 

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