सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता के प्रमुख्य स्थल
Sindhu ghati sabhyta ke pramukhy sthal
मोहनजोदड़ो
1. मोहनजोदड़ो सिन्ध के लरकाना जिले में सिन्धु नदी तट पर स्थित है इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1922 में की थी
2. मोहनजोदड़ो को मृतकों के टीला भी कहते है
3. मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार है यह 11.88 मी० लम्बा, 7.01 मी० चौड़ा और 2.43 मी० गहरा है
4. यह विशाल स्नानागार धर्मानुष्ठान सम्बन्धी स्नान के लिए था मार्शल ने इसे तत्कालीन विश्व का एक आश्चर्यजनक निर्माण कहा
5. विशाल अन्नागार मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत है जो 45.71 मी० लम्बा और 15.23 मी० चौड़ा है
6. मोहनजोदड़ो के पश्चिमी भाग में स्थित दुर्ग टीले को स्तूपटीला भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर कुषाण शासकों ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था
7. मोहनजोदङो में नगर योजना के अन्तर्गत उत्तर - दक्षिण एवं पूर्व - पश्चिम की ओर जाने वाली समानान्तर सड़कों का जाल बिछा था जिन्होंने नगर को लगभग समान आकार वाले खण्डों में विभाजित कर दिया था
8. मोहनजोदङो की शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक न होकर जनतन्त्रात्मक थी
9. यहाँ के किले की रक्षा प्रणाली हड़प्पा के किले के समान थी इसमें एक सुनियोजित नगर के सभी तत्व दिखाई देते हैं
10. मोहनजोदङो के पश्चिमी भाग स्थित दुर्ग टीले को " स्तूपटीला " भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर कुषाण शासकों ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था
11. मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्य अवशेषों में -
- महाविद्यालय भवन
- काँसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति
- पुजारी की मूर्ति
- मुद्रा पर अंकित पशुपति नाथ (शिव) की मूर्ति
- कुम्भकारों के छः भट्टे
- सुतीकपड़ा
- हाथी का कपाल खण्ड
- गले हुए तांबे के ढेर
- सीपी की बनी हुई पटरी
- अंतिम स्तर पर बिखरे हुए एवं कुएं से प्राप्त नर कंकाल
- घोड़े के दाँत
- गीली मिट्टी पर कपड़े के साक्ष्य
चन्हूदड़ो
1. चनहुदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता के नगरीय झुकर चरण से सम्बंधित एक पुरातत्व स्थल है।
2. यह क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मोहनजोदड़ो से 130 किलो
मीटर (81 मील) दक्षिण में स्थित है।
यहाँ पर 4000 से 1700 से ईशा पूर्व में बसा हुआ माना जाता है और इस स्थान को इंद्रगोप मनकों के निर्माण स्थल के रूप में जाना जाता है।
3. चनहुदड़ो की पहली बार खुदाई मार्च 1931 में एन॰जी॰ मजुमदार ने करवाई और उसके बाद 1935-36 में अमेरीकी स्कूल ऑफ़ इंडिक एंड इरानियन तथा म्यूज़ियम ऑफ़ फाइन आर्ट्स, बोस्टन के दल ने अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके के नेतृत्व में करवाई।
4. यहाँ सैन्धव संस्कृति के अतिरिक्त प्राक हड़प्पा संस्कृति जिसे झूकर संस्कृति और झांगर संस्कृति के भी अवशेष मिले है
5. यहाँ के निवासी कुशल कारीगर थे इसकी पुष्टि इस बात से की जाती है कि मनके, सीप, अस्थि तथा मुद्रा बनाने का प्रमुख्य केंद्र था
6. चन्हूदड़ो से प्राप्त प्रमुख्य अवशेष
- अलंकृत हाथी
- खिलौना
- कुत्ते के बिल्ली का पीछा करते हुए पद - चिन्ह
- सौन्दर्य प्रसाधनों में प्रयुक्त लिपिस्टिक
7. चन्हूदड़ो एक मात्र पुरास्थल है जहाँ से वक्राकार ईटें मिली हैं
8. चन्हूदड़ो में किसी दुर्ग का अस्तित्व नहीं मिला है यहां से झूकर - झांगर सांस्कृतिक अवशेष मिले है
लोथल
1. भारतीय पुरातत्वविदों ने गुजरात के सौराष्ट्र में 1947 के बाद हड़प्पा सभ्यता शहरों की खोज शुरू की और इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता भी मिली।
2. पुरातत्वविद एस.आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर 1954 से 1963 के बीच कई हड़प्पा स्थलों की खोज की, जिनमें में बंदरगाह शहर लोथल भी शामिल है।
3. अहमदाबाद जिले (गुजरात) के सरागवाला ग्राम से 80 कि.मी. दक्षिण में भोगवा नदी के तट पर स्थित इस स्थल की सर्वप्रथम खोज डॉ. एस. आर. राव ने 1957 में की थी
4. सागर तट पर स्थित यह स्थल पश्चिमी एशिया से व्यापार का प्रमुख्य बन्दरगाह था
5. लोथल से मिले एक मकान का दरवाजा गली की ओर न खुल कर सड़क की ओर खुलता था
6. उत्खननों से लोथल की जो नगर योजना और अन्य भौतिक वस्तुएं प्रकाश में आई है उनसे लोथल एक " लघु हड़प्पा " या " मोहनजोदङो " नगर प्रतीत होता है
7. फारस की मुद्रा या सील और पक्के रंग में रंगे हुए पात्रों की उपलब्धि से स्पष्ट है कि लोथल सिन्धु सभ्यता काल में सामुद्रिक व्यापारिक गतिविधियाँ का केन्द्र था
8. लोथल में गढ़ी और नगर दोनों रक्षा प्राचीर से घिरे हैं यहाँ नगर के उत्तर में एक बाजार और दक्षिण में औद्योगिक क्षेत्र था यहाँ के बाजार में शंख का कार्य करने वाले दस्तकारों और ताम्र कर्मियों के कारखाने थे
9. लोथल की सबसे प्रमुख्य उपलब्धि जहाजों की गोदी (डॉक - यार्ड) है यह लोथल के पूर्वी खण्ड में पक्की ईटों का एक तालाब जैसा घेरा था
10. यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध उपलब्धि हड़प्पा कालीन बंदरगाह के अतिरिक्त मृदभाण्ड, उपकरण, मुहरें, वाट एवं माप तथा पाषाण उपकरण हैं
11. लोथल से प्राप्त प्रमुख्य अवशेष
- बन्दरगाह
- धान (चावल) और बाजरे का साक्ष्य
- फारस की मुहर
- घोड़े की लघु मृण्मूर्ति
- तीन युगल समाधियाँ
कालीबंगा
1. राजस्थान के गंगानगर जिले में स्थित कालीबंगा की खोज सर्वप्रथम ए. घोष ने 1953 में की
2. कालीबंगा में एक जुते हुए खेत का साक्ष्य प्राप्त हुआ था
3. कालीबंगा में किलेबन्द पश्चिमी टीले के दो पृथक पृथक किन्तु परस्पर संबद्ध खण्ड है - एक सम्भवत: जनसँख्या के विशिष्ट वर्ग के निवास के लिए और दूसरे ऊँचे ऊँचे चबूतरों के लिए जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के अस्तित्व का साक्ष्य मिलता है | इस स्थल के पश्चिम में कब्रिस्तान है
4. कालीबंगा में कोई स्पष्ट घरेलु या शहरी जल निकास प्रणाली भी नहीं थी
5. यहाँ पर प्राक हड़प्पा एवं हड़प्पा कालीन संस्कृतियों के अवशेष मिले हैं | यहाँ से प्राप्त कुछ मृदभाण्ड परवर्ती हड़प्पा सांस्कृतिक युग में भी प्रयुक्त किये जाते रहे | यहाँ किये गये उत्खननों से हड़प्पा कालीन सांस्कृतिक युग के पाँच स्तरों का पता चला है |
6. सेलखड़ी की मुहरें एवं मिट्टी की छोटी मुहरे (सीलें) महत्वपूर्ण अभिलेख वस्तुए थी जिनके वर्ण हड़प्पा कालीन लिपि के सामान हैं
7. कालीबंगा में शवों के अन्त्येष्टि संस्कार हेतु तीन विधियों - पूर्ण समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण एवं दाह संस्कार के प्रमाण मिले है |
8. कालीबंगा से प्राप्त प्रमुख्य अवशेष
- बेलनाकार मुहरें
- हल के निशान (जुते हुए हल के साक्ष्य)
- ईटों से निर्मित चबूतरे
- हवन कुण्ड या अग्निकुण्ड
- अन्नागार
- अलंकृत ईटों का प्रयोग
- घरों के निर्माण में कच्ची ईटों का प्रयोग
- युगल तथा प्रतीकात्मक समाधियाँ
भारतीय संविधान के बारे में
संविधान सभा अंतरिम सरकार प्रारूप समिति के सदस्य रेगुलेटिंग एक्ट \ पिट्स इंडिया एक्ट \ भारत परिषद अधिनियम भारत शासन अधिनियम, साइमन आयोग, सांप्रदायिक अवार्ड
इतिहास के बारे में
सिन्धु घाटी की सभ्यता सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता के प्रमुख्य स्थल
मोहनजोदड़ो चन्हूदड़ो लोथल कालीबंगा
सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता के प्रमुख्य स्थल
वैदिक संस्कृति वैदिक काल ऋग्वैदिक काल उत्तरवैदिक काल
बौद्ध धर्म जैन धर्म हर्यक वंश शिशुनांग वंश नन्द वंश
मौर्य साम्राज्य चन्द्रगुप्त मौर्य बिन्दुसार अशोक
भूगोल के बारे में