सिन्धु घाटी की सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता / sindhu ghati ki sabhyta / hadappa sabhyta

सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता

(Hadappa sabhyta)


सिन्धु घाटी की सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता


हड़प्पा सभ्यता इतिहास क्या है? (Hadappa sabhyta ka etihas) 

1. इस सभ्यता को " सिन्धु सभ्यता " , " सिन्धु घाटी की सभ्यता " और " हड़प्पा सभ्यता " के नाम से भी जाना जाता है

2. भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ होता है जिसे हम हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं।

3. यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।

4. सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी

5. 1920 में, भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा किये गए सिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से हड़प्पा तथा मोहनजोदडो जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई

6. भारतीय पुरातत्त्व विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने सन 1924 में सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।

7. प्रारम्भ में पश्चिमी पंजाब के हड़प्पा एवं तत्पश्चात मोहनजोदङो की खोज हुई तब यह सोचा गया कि यह सभ्यता अनिवार्यत: सिंधु घाटी तक सीमित थी अत: इसे सिंधु घाटी सभ्यता का नाम दिया गया 

8. हड़प्पा या सिन्धु संस्कृति का उदय ताम्र पाषाणिक पृष्ठभूमि पर भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ इसका नाम हड़प्पा संस्कृति पड़ा क्योकि इसका पता सबसे पहले 1921 में पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रान्त में अवस्थित हड़प्पा  के आधुनिक स्थल से चला था


9. इस हड़प्पा संस्कृति का केंद्र स्थल पंजाब और सिंध में मुख्यत: सिन्ध घाटी में पड़ता है  

10. सन 1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जान मार्शल  के निर्देशन में राय बहादुर दयाराम साहनी ने पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के मांटगोमरी जिले में रावी नदी तट पर स्थित हड़प्पा का अन्वेषण किया 

11. जान मार्शल ने सर्वप्रथम इसे सिन्धु सभ्यता  का नाम दिया

12. इस सभ्यता के अब तक 350 से अधिक स्थल प्रकाश में आ चुके है इसके  अधिकांश स्थल (लगभग 200) गुजरात में है 


13. विभाजन के पूर्व उत्खनित अधिकांश स्थल विभाजन के उपरांत (1947) पाकिस्तान में चले गये  दो स्थल कोटला निहंग खाँ (रोपड़) सतलज नदी पर तथा रंगपुर मादर नदी तट पर (काठियावाड़) भारतीय सीमा क्षेत्र में शेष बचे हैं 

 

हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी?

(Hadappa sabhyta ki khoj kab hui)

1. इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास जान मार्शल का रहा है उन्होंने 1931 में इस सभ्यता की तिथि लगभग 3250 ई.पू. से 2750 ई.पू. निर्धारित किया 

2. रेडियों कार्बन - 14 (सी - 14) जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा हड़प्पा सभ्यता की तिथि 2500 ई. पू. से 1750 ई. पू. माना गया है जो सर्वाधिक मान्य है 


3. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार यह सभ्यता 400 - 500 वर्षों तक रही तथा 2200 ई.पू. से 2000 ई.पू. के मध्य मानी जाती है   

 

हड़प्पा सभ्यता के स्थल और  उत्खनन कर्ता


सिन्धु सभ्यता का विस्तार 

(Sindhu sabhyta ka vistar)

 

1. इस सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान और भारत में पंजाब, सिन्ध बलूचिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उ० प्र०, जम्मू कश्मीर, पश्चिमी महाराष्ट्र के भागों में पाये जा चुके हैं 


2. इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में मकरान समुद्र तट से लेकर पश्चिमी उ०प्र० में मेरठ तक फैला है 

 

2. इस सभ्यता का सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल सुत्कागेडोर (बलूचिस्तान ), पूर्वी पुरास्थल आलमगीर उत्तरी पुरास्थल माँडा (जम्मू) तथा दक्षिणी पुरास्थल दैमाबाद है 

 

3. इस त्रिभुजाकार क्षेत्र का क्षेत्रफल वर्तमान में लगभग 13 लाख वर्ग कि० मी० है 


4. इस सभ्यता के विस्तार  पर ही स्टुअर्ट पिगट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदङो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानियाँ बताया है 


सिंधु सभ्यता के निर्माता 

(Sindhu sabhyta ke nirmata)





1. सिंधु घाटी सभ्यता के प्रवर्तकों के सम्बन्ध में हमारी उपलब्ध जानकारी केवल समकालीन खंडहरों से प्राप्त मानव कंकाल और कपाल (खोपड़ियाँ) हैं 

2. मोहनजोदङो की जनसंख्या एक मिश्रित प्रजाति की थी जिसमें कम से कम चार प्रजातियाँ थी 
1. प्रोटो - आस्ट्रेलॉइड 
2. भूमध्य सागरीय 
3. अल्पाइन 
4. मंगोलायड 

3. किसी प्रजाति विशेष द्वारा सिंधु सभ्यता के प्रवर्तन या संस्थापन करने के सम्बन्ध में इतिहास एवं पुरातत्वविदों के मध्य काफी मतभेद है 

4 . सिंधु सभ्यता के प्रवर्तकों को द्रविड़, ब्राहुयी, सुमेरियन, पणि असुर, व्रत्य, बाहीक, दास, नाग प्रजातियों से सम्बंधित बताया जाता है 

4. परन्तु अधिकांश विद्वान इस मत से सहमत है कि द्रविड़ ही सैन्धव सभ्यता के निर्माता थे 

सिन्धु सभ्यता के मुख्य स्थल 

(Sindhu sabhyta ke mukhy sthal)

 

सिन्धु घाटी के जिन नगरों की खुदाई की गई है उन्हें निम्न लिखित वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है 

 

1. केन्द्रीय नगर 

2. तटीय नगर और पत्तन 

3. अन्य नगर एवं कस्बे 

 

केन्द्रीय नगर :- सिन्धु सभ्यता के तीन केन्द्रीय नगर - हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और  धौलावीरा समकालीन बड़ी बस्तियाँ थीं 

 

 हड़प्पा (Hadappa)

 

1. पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित मांटगोमरी जिले में रावी नदी के बायें तट पर यह पुरास्थल स्थित है 

2. हड़प्पा के टीले के विषय में सर्वप्रथम जानकारी 1826 में चार्ल्स मेर्सन  ने दी 
 
3. 1921 में दयाराम साहनी ने इसका सर्वेक्षण किया और 1923 से इसका नियमित उत्खनन आरम्भ हुआ 1926 में माधोस्वरूप वत्स  ने तथा 1946 में मार्टीमर ह्वीलर ने व्यापकस्तर पर उत्खनन कराया 
 
4. हड़प्पा से प्राप्त दो टीलों में पूर्वी टीले को नगर टीला तथा पश्चिमी टीले को दुर्ग टीला के नाम से सम्बोधित किया गया है 
 
5. यहाँ पर 6 - 6 की दो पंक्तियों में निर्मित कुल बारह कक्षों वाले एक अन्नागार का अवशेष प्राप्त है जिसका कुल क्षेत्र 2745 वर्ग मी० से अधिक है 

6. हड़प्पा के किले के बाहर कुछ ऐसे भवन हैं जिनकी पहचान कर्मचारियों के आवास, दस्तकारी के मंच  और 275 वर्ग मी० में फैले अन्नागार से की गई

7. हड़प्पा के सामान्य आवास क्षेत्र के दक्षिण में एक ऐसा कब्रिस्तान स्थित है जिसे समाधि आर - 37 नाम दिया गया  

6. सिन्धु सभ्यता में अभिलेख युक्त मुहरें सर्वाधिक हड़प्पा से मिले हैं 

हड़प्पा सभ्यता में क्या मिला था?

(Hadappka sabhyta ki khudai me kya mila tha)


 इसके अतिरिक्त यहाँ से प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण अवशेष एक बर्तन पर बना मछुआरे का चित्र शंख का बना बैल, स्त्री के गर्भ से निकला हुआ पौध (जिसे उर्वरता की देवी माना गया है) पीतल का बना इक्का, ईटों के वृत्ताकार चबूतरे, गेहूँ तथा जौ के  दोनों के अवशेष आदि मिले हैं


हड़प्पा सभ्यता और सिंधु सभ्यता एक ही है क्या?

हड़प्पा सभ्यता और सिंधु सभ्यता एक ही है इसे सिंधु सभ्यता इसलिए कहा जाता क्यों कि यह सिंधु नदी के किनारे है और हड़प्पा सभ्यता इस लिए कहा जाता क्यों कि ये हड़प्पा नमक स्थल पर है 
  
                                                                            

                          



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Shailesh Shakya 

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