वैदिक संस्कृति | वैदिक काल
वैदिक संस्कृति के संस्थापक कौन थे?
1. सिंधु संस्कृति के पतन के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे वैदिक अथवा आर्य सभ्यता के नाम से जाना जाता है भारत के इतिहास एक प्रकार से आर्य जाति का इतिहास है
2. भारत में आर्यों की पहिचान नार्डिक प्रजाति से की जाती है | आर्यों को लिपि का ज्ञान नहीं था | अत: वे अपने ज्ञान को सुनकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाते थे | इसीलिए वैदिक साहित्य को श्रुति साहित्य कहा जाता है | इसका एक नाम संहिता भी हैं
3. जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया में बैक्ट्रिया (आल्प्स पर्वत के पूर्वी क्षेत्र में यूरेशिया) को माना जाता है | भारतीय ग्रन्थ ऋग्वेद एवं ईरानी ग्रन्थ जिंद अवेस्ता में कई भाषायी समानता पाई जाती है
4. भारतीय इतिहास में 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक के कालखंड को वैदिक सभ्यता या ऋग्वैदिक सभ्यता की संज्ञा दी जाती है |
1. ऋग्वैदिक काल :- 1500 ई.पू. से 1000 ई.पू.
2. उत्तर वैदिक काल :- 1000 ई.पू. से 600 ई.पू.
ऋग्वैदिक काल (1500 ई.पू. से 1000 ई.पू.)
1. सिंधु सभ्यता नगरीय थी जबकि वैदिक सभ्यता मुलत: ग्रामीण थी | आर्यों का आरम्भिक जीवन मुख्यत: पशुचारण का था, कृषि उनका गौण धन्धा था | कृषि योग्य भूमि को उर्वरा अथवा क्षेत्र कहा जाता था |
2. आर्य लोग स्थाई या स्थिर निवासी नहीं थे इसलिए अपने पीछे कोई ठोस भौतिक अवशेष नहीं छोड़ गये
3. ऋग्वैदिक समाज का आधार परिवार था | परिवार पितृ - सत्तात्मक होता था | आर्यों का आर्थिक जीवन के मूलभूत व्यवसाय कृषि व पशुपालन थे |
वेदों की संख्या
1. ऋग्वेद (सर्वाधिक प्राचीन) :- यह सूक्तों का संग्रह है
2. यजुर्वेद :- यज्ञ संबंधी सूक्तों का संग्रह है
3. सामवेद :- गीतों का संग्रह है, इसके अधिकांश गीत ऋग्वेद से लिये गये है
4. अथर्ववेद :- तंत्र मंत्रो का संग्रह है
वैदिक संस्कृति क्यों महत्वपूर्ण थी?
भौगोलिक विस्तार
- आर्यों की आरम्भिक इतिहास की जानकारी का मुख्य स्रोत ऋग्वेद है
- ऋग्वैदिक काल की दूसरी सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती थी ऋग्वेद में सरस्वती को नदीतमा (नदियों में प्रमुख) कहा गया है
- ऋग्वैदिक काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सिंधु का वर्णन कई बार आया है इसके अतिरिक्त गंगा का ऋग्वेद में एक बार और यमुना का तीन बार जिक्र आया है ऋग्वेद में नदियों की संख्या 25 बताई गई है
- ऋग्वेद में आर्य निवास स्थल के लिए सर्वत्र सप्त सैन्धव शब्द का प्रयोग किया गया है
- ऋग्वेद में हिमालय एवं उसकी चोटी मूजवन्त का वर्णन मिलता है
राजनीतिक व्यवस्था
- पितृसत्तात्मक परिवार आर्यों के कबीलाई समाज की बुनियादी इकाई थी
- ऋग्वेद में आर्यों के पाँच कबीले के होने की वजह से उन्हें पंचजन्य कहा गया है
- ऋग्वेद में जन शब्द उल्लेख 275 बार मिलता है जबकि जनपद शब्द का उल्लेख एक बार भी नहीं मिलता है
- ऋग्वेद काल में राजा का पद आनुवंशिक हो चुका था फिर भी प्रधान या राजा के हाथ में असीमित अधिकार नहीं था कबीले की आम सभा जो समिति कहलाती थी वह अपने राजा चुनती थी
- ऋग्वैदिक काल में महिलाएँ भी सभा में भाग ले सकती थी
- ऋग्वैदिक काल में राजा भूमि का स्वामी नहीं था वस्तुत: वह युद्ध का स्वामी था
- ऋग्वेद में इन्द्र को पुरन्दर कहा गया है
सामाजिक व्यवस्था
- ऋग्वैदिक काल में संयुक्त परिवार की प्रथा थी परिवार की सम्पन्नता का मापदण्ड परिवार की वृहदता थी
- ऋग्वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था का चिन्ह दिखाई देते है
- ऋग्वेद के दशवें मण्डल में वर्णित पुरुष सूक्त में विराट द्वारा चार वर्णो की उत्पति का वर्णन मिलता है इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण परम - पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उसकी भुजाओं से वैश्य उसकी जाँघों से एवं शूद्र उसके पैरोँ से उत्पन्न हुआ है
- समाज में बाल विवाह प्रचलित नहीं थे अन्तर्जातीय विवाह भी होते थे
- समाज में नियोग प्रथा प्रचलित थी पर्दाप्रथा का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता
- पुनर्विवाह भी होते थे
- ऋग्वैदिक समाज में स्त्रियों को राजनीति में भाग लेने तथा सम्पत्ति रखने का अधिकार था
- शिक्षा - शिक्षा के द्वार स्त्रियों के लिए खुले थे कन्याओं की वैदिक शिक्षा दी जाती थी
- पुत्री का उपनयन संस्कार किया जाता था स्त्रियों की यज्ञ करने का अधिकार था
- शिक्षा के लिए सामान्यत: गुरुकुल पद्धति थी जहाँ मौखिक शिक्षा दी जाती थी
- ऋग्वैदिक काल में दास प्रथा प्रचलन था
- आर्य मूलत: शाकाहारी थे परन्तु विशेष अवसरों पर मांस का प्रयोग भी करते थे पेय पदार्थों में सोमरस का पान करते थे
आर्थिक जीवन
- ऋग्वेद में फाल का उल्लेख मिलता है उनके जीवन के मूलभूत आधार कृषि एवं पशुपालन था
- कृषि योग्य भूमि की उर्वरा अथवा क्षेत्र कहा जाता था
- ऋग्वेद में गव्य एवं गव्यति शब्द चरागाह के लिए प्रयुक्त है
- भूमि निजी सम्पत्ति नहीं होती थी उस पर सामूहिक अधिकार था
- पशु ही सम्पत्ति का मुख्य अंग और मुलत: दक्षिणा की वस्तु समझे जाते थे
- घोड़ा आर्य समाज का अति उपयोगी पशु था अन्य जानवर - हाथी, ऊँट, बैल, भेड़, बकरी, कुत्ते आदि
- बढ़ई शिल्पियों का मुखिया होता था
उत्तरवैदिक काल (1000 ई.पू. से 600 ई.पू.)
1. भारतीय इतिहास में इस काल की जिसमें सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद तथा ब्राह्मण ग्रंथों, आरण्यकों एवं उपनिषदों की रचना हुई
2. इस युग सभ्यता का केंद्र पंजाब से बढ़कर कुरुक्षेत्र (दिल्ली और गंगा यमुना दोआब उत्तरी भाग) में आ गया था
3. इस संस्कृति का मुख्य केंद्र मध्य देश था
राजनीतिक व्यवस्था
1. ऋग्वैदिक काल में कबीले पर शासन करने वाला राजा अब उस प्रदेश पर शासन करने लगा
2. राष्ट्र शब्द जो प्रदेश का सूचक है पहली बार इस काल में प्रकट हुआ आरम्भ में पांचाल एक कबीले का नाम था परन्तु बाद में वह प्रदेश का नाम हो गया
3. उत्तरवैदिक काल में पांचाल सर्वाधिक विकसित राज्य था
4. उत्तरवैदिक काल में राजतन्त्र ही शासन का आधार था पर कहीं कहीं पर गणराज्यों के उदाहरण भी मिलते है
सामाजिक संगठन
1. इस काल में वर्ण व्यवस्था का आधार कर्म पर आधारित न होकर जाति पर आधारित हो गया था तथा वर्णों कठोरता आने लगी थी
2. समाज में अनेक धार्मिक श्रेणियों का उदय हुआ जो कठोर होकर विभिन्न जातियों में बदलने लगी व्यवसाय आनुवंशिक होने लगे
3. ऐतरेय ब्राह्मण में चारों वर्णों के कर्तव्यों का वर्णन मिलता है
4. उत्तरवैदिक कल में केवल वैश्य ही कर चुकाने थे ब्राह्मण एवं क्षत्रिय दोनों वैश्यों से वसूले राजस्व पर ही जीते थे
5. ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य इस तीनों को द्विज कहा जाता था ये उपनयन संस्कार के अधिकारी थे
आर्थिक जीवन
1. कृषि इस काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय था शतपथ ब्राह्मण में कृषि की चारों क्रियाओं - जुताई, बुआई, कटाई तथा मड़ाई का उल्लेख हुआ है
2. काठक संहिता में 24 बैलों द्वारा खींचे जाने वाले हलों का उल्लेख मिलता है
3. ऋग्वैदिक लोग जौ पैदा करते थे परन्तु इस काल में उनकी मुख्य फसल धान और गेहूँ हो गयी
4. उत्तरवैदिक काल में मुद्रा का प्रचलन हो चुका था परन्तु सामान्य लेन देन में या व्यापार वस्तु विनिमय द्वारा ही होता है
धार्मिक जीवन
1. उत्तर वैदिक काल में उत्तरी दो - आब ब्राह्मणों के प्रभाव में आर्य संस्कृति का केंद्र स्थल बन गया
2. यज्ञ इस संस्कृति का मूल था और यज्ञ के साथ साथ अनेकानेक अनुष्ठान और मंत्रविधियाँ प्रचलित हुई
3. उत्तर वैदिक काल में प्रजापति जो देवकुल में सृष्टि के निर्माता थे को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो गया
4. विष्णु को सर्व संरक्षक के रूप में पूजा जाता था
5. उत्तर वैदिक काल में मूर्ति पूजा प्रारम्भ हो गई थी
Important Point
- गायत्री मंत्र उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है
- सामवेद को भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है
- सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद वेद है
- सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद से लिया गया है
- कुल वेद - 4
- उपनिषदों की संख्या - 108
- कुल पुराण - 18
- वेदांग की संख्या - 6
- सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण है
- रामायण के रचायता - महर्षि बाल्मीकि
- महाभारत के रचायता - महर्षि व्यास
- सबसे प्राचीन स्मृति - मनुस्मृति
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