मौर्य साम्राज्य का इतिहास \ maury samrjay ka etihas


मौर्य साम्राज्य (322 से 184 ई.पू.) 




अशोक और बौद्ध धर्म 

➥ सिंहली अनुश्रुतियों दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक को उसके शासन के चौथे वर्ष निग्रोध नामक भिक्षु ने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया | तत्पश्चात मोग्गालिपुत्ततिस्स के प्रभाव से वह पूर्णरूपेण बौद्ध हो गया | 

दिव्यावदान अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु को प्रदान करता है | 

➥ बौद्ध संघ में प्रविष्ट होने के लिए उन्मुख होना बौद्ध साहित्य में भिक्षुगतिक कहा गया है | 

➥ अशोक ने अपने शासन के दसवें वर्ष सर्वप्रथम बोध गया की यात्रा की | इसके बाद अभिषेक के बीसवें वर्ष लुम्बिनी ग्राम गया | उसने लुम्बिनी ग्राम को कर मुक्त घोषित किया तथा केवल 1/8 भाग कर के रूप में लेने की घोषणा की | 

➥ नेपाल की तराई से अशोक के दो अभिलेख रूमिन्देई  एवं निग्लिवा स्तम्भ लेख प्राप्त होते हैं 

➥ अशोक का बौद्ध सिद्ध करने वाला दूसरा अभिलेख उसका शासनादेश है जो सारनाथ, साँची तथा कौशाम्बी के स्तम्भों पर उत्कीर्ण है | 

साँची और सारनाथ लघु स्तम्भ लेख में संघ में फूट डालने के विरुद्ध जारी आदेश कौशाम्बी और पाटिलपुत्र के महामात्रों को दिया गया है | 

➥ अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए अशोक ने जिन आचारों की संहिता प्रस्तुत की उसे उनके अभिलेखों में धम्म कहा गया है | 

➥ राज्याभिषेक से सम्बन्धित मास्की के लघु शिलालेख में अशोक ने स्वयं को बुद्ध शाक्य कहा है | 

➥ अशोक को बौद्ध सिद्ध करने वाला दूसरा अभिलेख उसका शासनादेश है जो सारनाथ, साँची तथा कौशाम्बी के लघु स्तम्भों पर उत्कीर्ण है | 

➥ दूसरे एवं सातवें स्तम्भ लेख में अशोक ने धम्म की व्याख्या इस प्रकार की है :- 

पाप से निवृत्ति, विश्व कल्याण, दयादान, सत्य एवं कर्म शुद्धि ही धम्म है | साधु स्वभाव, कल्याणकारी कार्य करना, पाप रहित होना व्यवहार में मृदुता, दया, दान, शुचिता प्राणियों का वध न करना, माता - पिता एवं बड़ों की आज्ञा मानना, गुरुजनों के प्रति आदर, मित्रों, परिचितों सम्बन्धियों, ब्राह्मणों एवं श्रवणों के प्रति दानशीलता व उचित व्यवहार आदि | 


शिलालेख उसमें उल्लिखित विषय 

प्रथम शिलालेख :- 
1. समाज (उत्सव) का निषेध 
2. पशुबलि का निषेध 
3. सभी मनुष्य मेरी संतान की तरह हैं 

द्व्तीय शिलालेख :- 
1. प्रत्यन्त राज्य - चेर (केरल पुत्त) चोल, पाण्ड्य, सत्तियपुत्त एवं ताम्रपर्णी (श्रीलंका) 
2. पशु चिकित्सा एवं मानव चिकित्सा एवं लोक कल्याणकारी कार्य 

तृतीय शिलालेख :- 
1. महामात्रों अर्थात पदाधिकारियों के प्रति पांचवें वर्ष दौरे का आदेश 
2. राजुक या रज्जुकों की नियुक्ति 

पांचवें शिलालेख :- 
1. धर्म महामात्रों की नियुक्ति एवं कार्य निर्देश 
2. मौर्यकालीन समाज एवं वर्णव्यवस्था का उल्लेख 

ग्यारहवें शिलालेख :- 
1. धम्म विजय की विशेषताओं का वर्णन 

बारहवें शिलालेख :- 
1. धार्मिक सहिष्णुता की नीति का उल्लेख 

तेरहवें शिलालेख :- 
1. कलिंग युद्ध का वर्णन 
2. पाँच सीमान्त यूनानी, राजाओं के नाम जहां 

अशोक ने अपने धर्म प्रचारक भेजे थे | 
            1. अन्तियोक (सीरियाई नरेश)
            2. तुरमय (मिस्त्री नरेश)
            3. अत्तिकिनि (मेसीडोनियन नरेश) 
            4. मग (एपिरस)
            5. अलिकसुन्दर (सिरीन)
3. आटविक राज्यों का उल्लेख 

" सभी मनुष्य मेरी सन्तान (प्रजा) हैं, जिस प्रकार मैं अपनी सन्तान के लिए इहलौकिक एवं पारलौकिक कल्याण की कामना करता हूँ उसी प्रकार अपनी प्रजा के लिए भी " ----- प्रथम पृथक शिलालेख (कलिंग लेख)

" जैसे एक माँ अपनी सन्तान के लिए एक कुशल धाय सौंपकर निश्चित हो जाती है उसी प्रकार मैंने भी इसीलिए राजुकों की नियुक्ति की है " 
                                     ----- प्रथम पृथक शिलालेख (कलिंग लेख) 

" सभी पंथों के मध्य आत्म नियंत्रण और मन की पवित्रता होनी चाहिए "
                                    ----- सातवें शिलालेख 

➥ अशोक कालीन पश्चिमी शक्तियों (यवन, गान्धार, कम्बोज) का उल्लेख 5 वें और 13 वें शिलालेख में वर्णित है 

➥ कौशाम्बी तथा प्रयाग के स्तम्भों में अशोक रानी कारुवाकी द्वारा दान दिये जाने का उल्लेख है इसे रानी का अभिलेख भी कहा जाता है 

अशोक ऐसा प्रथम शासक था जिसने अभिलेखों के माध्यम से अपनी प्रजा को सम्बोधित किया जिसकी प्रेरणा उसे ईरानी शासक दारा प्रथम (डेरियस) से मिली थी 

1750 में टिफ़ेन्थैलर  ने सबसे पहले दिल्ली में अशोक के स्तम्भ का पता लगाया किन्तु अशोक के अभिलेखों को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837 ई. में पढ़ा 

➥ मौर्य प्रशासन के अंतर्गत ही भारत में पहली बार राजनीतिक एकता देखने को मिली 

➥ प्लिनी (इण्डिका) के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के पास छः लाख पैदल, पचास हजार अश्वरोही, नौ हजार हाथी तथा आठ सौ रथों से सुसज्जित विराट सेना थी 

➥ मौर्य सम्राट सर्वोच्य तथा अंतिम न्यायलय एवं न्यायाधीश था मौर्य न्यायव्यवस्था कठोर थी | न्याय का उद्देश्य सुधारवादी न होकर आदर्शवादी था 

➥ वास्तव में मौर्यकाल में पहली बार राजस्व प्रणाली की रूप रेखा तैयार की गई इसका उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी मिलता है | 

➥ सिंचाई की ओर प्रशासन विशेष ध्यान देता था जूनागढ़ अभिलेख से चन्द्रगुप्त के गवर्नर पुष्य गुप्त वैश्य द्वारा सौराष्ट्र में निर्मित सुदर्शन झील का उल्लेख मिलता है | 

➥ मौर्यकाल तक आते - आते व्यापार व्यवसाय में नियमित सिक्को का प्रचलन हो चुका था | सिक्के सोने, चाँदी एवं ताँबे के बने होते थे 

➥ मौर्य काल में व्यापार जल एवं स्थल दोनों मार्ग से होता था 

व्यापारिक जहाजों का निर्माण इस काल का प्रमुख उद्योग था 

➥ अर्थशास्त्र में शूद्रों को आर्य कहा गया है 

➥ मेगस्थनीज ने भारतीय समाज को सात जातियों में विभक्त किया है - 
1. दार्शनिक                            2. किसान 
3. अहीर                                 4. कारीगर व शिल्पी 
5. सैनिक                               6. निरीक्षक 
7. सभासद 

➥ अर्थशास्त्र में सभी चारों वर्णों के लोगों को सेना में भर्ती होने का उल्लेख है 

➥ मेगस्थनीज के अनुसार अपराध करने वाले ब्राह्मण को यातना नहीं दी जाती थी 

➥ स्त्रियों की स्थिति स्मृति काल की अपेक्षा अधिक सुरक्षित थी उन्हें पुनर्विवाह व नियोग की अनुमति थी 

➥ मौर्यकाल में वैदिक धर्म प्रचलित था किन्तु कर्मकाण्ड प्रधान वैदिक धर्म अभिजात ब्राह्मण तथा क्षत्रियों तक ही सीमित था 

मेगस्थनीज ने जाति प्रथा का उल्लेख सात वर्गों के रूप में किया है इन जातियों में किसानों की संख्या सर्वाधिक थी 

➥ लुम्बनी यात्रा के अवसर पर अशोक ने वहाँ भूमिकर की दर 1/6 से घटाकर 1/8 कर दी थी 

➥ अशोक के कुल स्तम्भों की संख्या 17 थी 

➥ मौर्यकाल में साधारण जनता की भाषा पाली थी | अत: अशोक के अधिकांश अभिलेख इसी भाषा में लिखे गये 

➥ सारनाथ के शीर्ष स्तम्भ पर चार सिंह पीठ सटाए बैठे हैं | ये चार सिंह एक चक्र धारण किये हुए हैं यह चक्र बुद्ध धर्म चक्र प्रवर्तन का प्रतीक है | 

➥ मौर्य शासन का स्वरूप उदार या कल्याणकारी निरंकुशबाद था 

पाटलिपुत्र मौर्यों की राजधानी थी 

➥ चौथी शताब्दी ई.पू. में चीनी बौद्ध यात्री फाह्यान भारत आया

➥ मौर्य साम्राज्य का अंतिम शासक वृहद्रथ था जिसका हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थी 


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Shailesh Shakya 
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