सौरमण्डल (The Solar System) | शनि ग्रह

 सौरमण्डल (The Solar System) 

 सौरमण्डल (The Solar System) 


शनि  (Saturn)

 

 

1. ये सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है इसके चारो ओर तीन चमकदार छल्ले पाये जाते है जो कि जैसे हिमकणों एवं धूल कणों से निर्मित है 

 

2. यह पीले रंग का ग्रह है 

 

3. शनि के वायुमण्डल के सूर्य की ही तरह हाइड्रोजन  हीलियम गैस पायी जाती है 

 

4. इसके उपग्रहों के नाम सेक्सपियर के उपन्यासों के पात्रों के नाम पर मिलते है

 

5. हमारे सौरमण्डल में शनि इसका ऐसा ग्रह जिनके पास 82 उपग्रह है 

 

6. इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो कि आकार में वुध ग्रह के बराबर है 

 

7. टाइटन एक मात्र ऐसा उपग्रह है जिसके पास अपना स्थायी वायुमण्डल है 

 

8. ये सौरमण्डल का अन्तिम ग्रह है जिसे नगण्य आँखों से देखा जा सकता है 

 

9. शनि ग्रह का घनत्व सौरमण्डल में सबसे कम है 

 

10. इसे चपटा ग्रह भी कहते है इसे गैलेक्सी सदृश्य भी कहते है क्योंकि इसके चारो ओर चमकीले छल्ले पाये जाते है 

 

11. शनि का व्यास 1,20,536 किमी है 

 

12. अपने अक्ष पर इसका परिभ्रमण समय 10.6 घंटे है 

 

13. सूर्य के चारों ओर इसका परिक्रमण समय 29.44 वर्ष है   

 

 

 अरुण (Uranus)

 

1. इसकी खोज 1781 . में विलियम हर्शेल ने की थी | ये अपने अक्ष पर 8251’    डिग्री झुका हुआ है इसीलिए इसे लेटा हुआ भी ग्रह कहते है 

 

2. इसके ध्रुवों पर काफी लम्बी अवधि के दिन प्राप्त होते है

 

3. इसके चारो ओर 5 महीन छल्ले पाये जाते है

 

4. इसके वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम, मेथेन गैस पायी जाती है

 

5. यह शुक्र की भाँति पूर्व - पश्चिम दिशा में घूर्णन करता है | एवं इसके उपग्रहों की घूर्णन दिशा भी पूर्व - पश्चिम दिशा में है 

 

6. ये सौरमण्डल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है 

 

7. इस पर काफी सघन वायुमण्डल पाया जाता है 

 

8. इसका सूर्य उदय पश्चिम दिशा में तथा सूर्यास्त पूर्व दिशा में होता है 

 

9. इसके 27 उपग्रह है जिसमे सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है 

 

10. अरुण का व्यास 51,118 किमी है 

 

11. अपने अक्ष पर इसका परिभ्रमण समय 17.2 घंटे है 

 

12. सूर्य के चारों और इसका परिक्रमण समय 84 वर्ष है   

 

 

वरुण (Neptune)

 

1. इसकी खोज 1846 में जॉन गले और अर्बर ले वेरिअर ने की थी 

 

2. यह 165 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है 

 

3. इस पर हाइड्रोजन, हीलियम, मेथेन तथा अमोनिया पायी जाती है 

 

4. यह हरे रंग का ग्रह है 

 

5. इसके चारों ओर चार छल्ले पाये जाते है और इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है 

 

6. इसके 14 उपग्रह है इसका प्रमुख उपग्रह ट्रिट्रॉन है 

 

7. वरुण का व्यास 49,528 किमी है 

 

8. अपने अक्ष पर इसका परिभ्रमण समय 16.11 घंटे है 

 

9. सूर्य के चारों और इसका परिक्रमण समय 164.7 वर्ष है   

 

 

यम (Pluto)

 

1. इसकी खोज 1930 में क्लाइड टॉमबॉ ने की थी इसे अब ग्रहों की सूची से बाहर कर दिया गया है 

 

2. क्योंकि इसकी कक्षा वरुण की कक्षा को काटती है जोकि ग्रहो की परिभाषा के विरुद्ध है 

 

3. इसके वायुमण्डल में मिथेन नाइट्रोजन जैस पायी जाती है 

 

4. यह सूर्य की परिक्रमा 248 वर्षो में पूरी करता है इसका पलायन वेग सबसे कम है जोकि 1 कि.मी. प्रति सेंकण्ड है इसका एक मात्र उपग्रह चेरान है 

 

5. यह सौरमण्डल का सबसे ठण्डा ग्रह है  

UB 313 (कार्ला)

 

1. 10 वाँ ग्रह जिसे 1987 में USA के अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने खोजा था  

 

2. यह सूर्य की परिक्रमा 700 वर्षों में करता है 

 

3. यह सूर्य से 3 गुना भारी है 

 

Note :-  वर्ष 2006 में प्राग में हुए सम्मेलन में ग्रह की नयी परिभाषा के अनुसार प्लूटो और UB 313 (कार्ला) को बौने ग्रह की संज्ञा  गयी है 

 

4. इस प्रकार हमारे सौरमण्डल में 8 ग्रह बचे है 

 

 

बौने ग्रह क्या है

बौने ग्रह वह होते है जिसका आकार इतना कम होता है कि वे गोल भी नहीं रह पाते है है अत: इनको कम से कम इतना बड़ा होना चाहिए कि वह गोल हो सके और किसी भी उपग्रह की कक्षा  को काटे 

 

 बौने ग्रह वे पिंड हैं जिनको पूरी तरह से ग्रह की श्रेणी में आने के लिए बहुत छोटे हैं, लेकिन उनको दूसरे छोटे पिंडों की श्रेणी में भी नहीं डाला जा सकता।

 अभी पिछले कई सालों से इस बात पर काफी जोरों शोरों से चर्चा हुई कि कैसे प्लूटो ग्रह ने सौर मंडल के एक ग्रह के रूप में अपना स्थान खो दिया

 प्लूटो को अब सौर मंडल का नौवां ग्रह नहीं माना जाता, वह अब ड्वार्फ ग्रहों की श्रेणी में आता है। खगोल वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि सौर मंडल और कुइपर बेल्ट भाग में लगभग 200 ड्वार्फ ग्रह  मौजूद हैं।

 साल 2015 में जब न्यू होराइजन मिशन प्लूटो के पास से गुजरा, तो उसके द्वारा भेजे गए भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर उसपर शोध शुरू हुआ। इस मिशन के विशेषक यह कोशिश कर रहे हैं कि प्लूटो को ग्रह होने का दर्जा दोबारा से मिल जाये

 

आकार के अनुसार ग्रहों का घटता क्रम :-

 

1. वृहस्पति             2. शनि                     3. अरुण 

4. वरुण                  5. पृथ्वी                    6. शुक्र 

7. मंगल                  8. बुध 

 

 

क्षुद्र ग्रह (Asteroid)

 

मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच छोटे छोटे आकाशीय पिंडों को, जो सूर्य की परिक्रमा करते रहते है उन्हें क्षुद्र ग्रह कहते है 

 

खगोलशास्त्रियों के अनुसार क्षुद्र ग्रहों का निर्माण ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से हुआ है 

 

क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराते हैं तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त बनता है 

उदाहरण :-  महाराष्ट्र में लोनार झील 

 

 फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है 

 

धूमकेतु  (Comet)

 

 सौरमण्डल  के छोर पर विद्यमान अरबों छोटे छोटे पिंडों को धूमकेतु या पुच्छल तारे कहते है 

 

यह गैस एवं धूल का संग्रह हैं 

 

यह  आकाश में लंबी चमकदार पुँछ सहित प्रकाश  चमकीले गोले के रूप में दिखाई देता है 

 

धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य  से  दूर होती है 

 

 हेली नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष होता है 

 

यह अंतिम बार 1986 दिखाई दिया था 

 

यह अगली बार 2062 . में दिखाई देगा 


उल्का (Meteors)

 

क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गए धूल के कण उल्काएँ होती है 


भारतीय संविधान के बारे में



इतिहास के बारे में


भूगोल  के बारे में


Shailesh Shakya 
Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.